3D और 2D फिल्म क्या होती है? 3D Aur 2D Film Kya Hai?

मनोरंजन के क्षेत्र में एक नया नाम तेजी से उभर रहा है। वह है 3D फिल्मों का संस्करण। आज कल आपको सिनेमाघरों में 3 D में फिल्में देखने को मिल जाएंगी। 3डी मूवी में आपको चश्मा दिया जाता है। जिसकी मदद से आप 3D movie को देख पाते हैं।
इस लेख में 3D Kya Hai और 2D फिल्मों की जानकारी आपसे साझा करते हैं। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो शेयर जरुर करें।

3D Aur 2D Film kya hai


3D और 2D फ़िल्म क्या है? - 3D Aur 2D Film Kya Hai

3डी का मतलब थ्री डाइमेंशनल से है। 3D यानी की तीन आयाम लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई या फिर गहराई आइए आपको विस्तार से समझाने की कोशिश करते हैं। 3D को इस तरह से समझा जा सकता है। जैसे की एक कागज का पन्ना लेते हैं। जिसकी लंबाई,
चौड़ाई तो है लेकिन मोटाई नाम मात्र है। यानी बहुत ही कम है। जब इस पन्ने को मोड़ कर एक बॉक्स जैसा आकार दे देते हैं। तो उसमे एक अतिरिक्त आयाम जुड़ जाता है। यानी लंबाई चौड़ाई के अलावा गहराई और ऊंचाई भी जुड़ जाती है।

हमारे दिमाग़ और आंखों के काम करने के तरीके पर ही 3 D आधारित होता है। इसलिए हम लोग 3D की अनुभूति करने में सक्षम है। हमारी आंखों की पुतलियों के करीब 6.5 cm की दूरी होती है। इसलिए प्रत्येक आंख को कोई भी दृश्य एक अलग कोण से दिखाई देता है। हमारा मस्तिस्क दोनों दृश्यों को मिलाकर एक बना देता है। दाई आंख और बाईं आंख में अंकित छवियों में हल्की मिन्नता को मस्तिस्क उस दृश्य की गहराई के रूप में देखता है। और इस तरह हम 3D दृश्यों को देखने और समझने में सक्षम होते हैं। और हमे आसानी से 3D में बनी पिक्चर देखने पर महसूस होने लगती है।

2डी फ़िल्म क्या है?

2D फिल्मे किसी सामान्य तस्वीर की तरह होती है। 2D केवल दो आयामों में किसी वस्तु का प्रतिधिनित्व करता है।  हमारी आंखे जो देखती हैं। वही 2D फिल्मों को देखने से होता है। वही 3D फिल्मों में दृश्य की गहराई का अनुभव होता है। इस तरह की फ़िल्मों को शूट करने में 2 कैमरों का इस्तेमाल किया जाता है। 

दो दृश्यों को एक साथ मिलाकर चित्र को पर्दे पर दिखाया जाता है। इस तरह की फिल्मों को बनाने के लिए खास तरह के मोशन कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है। जो बहुत ही महंगे आते हैं। वैसे 3D फिल्म को देखने के लिए चश्मे को लगाना पड़ता है। लेकिन आधुनिक तकनीक आ जाने से बीना चश्मे लगाए 3D Movie देख सकते हैं।

भारत में 3D कब आई?

जैसे-जैसे तकनीक बढ़ती गई उस तरह 3D का आगाज सभी देशों में होने लगा सभी देश 3D में मूवी बनाने लगे। भारत में 3डी 1984 में आई जब "माई डियर कुट्टीचथन" नाम से 3डी में फिल्म बनाई गई। यह भारत की पहली 3D फ़िल्म थी। अक्सर लोग पूछ लेते
हैं की भारत की 3डी मूवी कौन सी है? तब आप इस मूवी को बता सकते हैं।

1998 में छोटा चेतन नाम की फिल्म बनाई गई जो आधुनिक तकनीक का एक उदाहरण थी। इस फिल्म को डिजिटल साउंड के साथ रिलीज किया गया। और इस मूवी ने बॉक्स ऑफिस में 60 करोड़ रूपए कमाए।


3D का विकास

3डी फ़िल्मों की शुरुवात 1890 में ब्रिटिश फिल्मों के प्रवर्तक विलियम ग्रीन्स के द्वारा की गई थी। जैसे तकनीक बढ़ती गई वैसे ही 3D मूवी का चलन बढ़ता गया। 3D को बेहतर बनाने के लिए बहुत से प्रयोग किए गए। लॉस एंजिलिस में "द पावर ऑफ लव" फिल्म को आम जनता के लिए 1922 में प्रदर्शित किया गया। 

समय के साथ-साथ फिल्मों में नए-नए प्रयोग होते रहे। 1980 में बनी फिल्म "वी आर बोर्न ऑफ स्टार" ने 3D मूवी को एक नया मोड़ दिया।

1952 में बनी फिल्म "ब्वाना डेविल" जिसे स्वर्ण युग का प्रारंभ माना जाता है। या पहली रंगीन त्रि आयामी यानी 3डी फिल्म थी।

FAQs

1. भारत की 3D फिल्म कौन सी है?
माई डियर कुट्टीचथन नाम से 3डी में फिल्म बनाई गई। यह भारत की पहली 3D फ़िल्म थी। भारत में 3डी का आगाज़ 1984 में हुआ।

2. बॉलीवुड में पहली 3D फ़िल्म कौन सी थी?

बॉलीवुड की पहली 3D फ़िल्म "छोटा चेतन" थी जो 1998 में बनाई गई थी जो आधुनिक तकनीक का एक नायाब उदाहरण थी।
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